जमीअत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के हालिया बयानों ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक सहित कई मामलों के फैसलों पर सवाल उठाए और यह आरोप लगाया कि अदालत सरकार के दबाव में काम कर रही है। इसके अलावा उन्होंने 'जिहाद' और 'घर वापसी' जैसे मुद्दों पर भी तीखी टिप्पणी की, जिसके बाद राजनीतिक और धार्मिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
मदनी ने आरोप लगाया कि देश की सर्वोच्च अदालत पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा,"बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक और कई अन्य मामलों के फैसलों के बाद ऐसा लगता है कि अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट तभी ‘सुप्रीम’ कहलाने के काबिल है जब वह संविधान और कानून के अनुसार चले. अगर ऐसा नहीं है, तो उसे 'सुप्रीम' कहलाने का हक नहीं।
30 नवंबर 2025 - 12:41
समाचार कोड: 1755809
सुप्रीम कोर्ट तभी ‘सुप्रीम’ कहलाने के काबिल है जब वह संविधान और कानून के अनुसार चले. अगर ऐसा नहीं है, तो उसे 'सुप्रीम' कहलाने का हक नहीं।
आपकी टिप्पणी